मेरे चंद दोस्त
खट्टे मीठे,
गोल मटोल,
चटपटे अनारदाने जैसे दोस्त
आड़े तिरछे,
मुड़े तुड़े,
रस्सी की मजबूत अकड़न जैसे सयाने मेरे दोस्त
कभी इधर कभी उधर,
मूँगफली के छिलकों जैसे हल्के मगर सेहतमंद दोस्त
और कभी स्याह रात के सिपाही जैसे सजग,
जुगनू मेरे दोस्त
कभी फकीर का कशकोल देखा है तुमने?
जो मांगो वो मिले,
जो ना मांगो वो ज़्यादा,
ऐसे धनी हैं,
मेरे गरीब दोस्त,
एक दोस्त है रायचंद
हर बात पे अपनी राय रखता है,
कितना भी चुप करा लो,
बकबक करते नहीं थकता है
कल exam
है? अमां,
किताब से बस पाँच सवाल लगा लो,
वहीं से पूछा जाएगा
Laptop
खराब पड़ा है?
फिक्र क्यों है भाई,
किराए का आ जाएगा
Girlfriend
नाराज़ है?
Roses
और Chocolates
भेजो, फिर नहीं
सताएगी
Dad ने bike
वापस ले ली?
थोड़ा सब्र करो,
Mom नयी
दिलाएगी
आल-तू जलाल-तू,
हर राय है फालतू,
जो बाल बाल बच जाता मैं,
अपनी राय से अब मुझे मुसीबत में डाल तू,
पर करें भी तो क्या,
दोस्त जो है तू मेरा!
एक दोस्त है प्रेमचंद
रग-रग में उसके इत्र है,
बस महिलाएं उसकी मित्र है
करता खतों में बातें है,
chatting
dating
की रातें हैं
कुछ पढ़ भी लो,
दोस्त? इश्क़ से
बड़ा कोई school
नहीं
कुछ काम वाम सीख लो?
मुश्क से बेहतर कोई teacher
नहीं
बर्बाद हो जाओगे?
ये आग का दरिया है बस डूब के जाना है
होश में आओ,
यार! अब ज़िंदगी क्या है,
बस रूठना मनाना,
उसकी यादों में खो जाना है
उफ़्फ़! करें भी तो क्या,
जी दोस्त जो है वो मेरा!
फिर एक दोस्त है ज्ञानचंद
किताबों की दुनिया में रहता है,
बीस की पिद्दी सी उम्र और बातें अस्सी की करता है
चलता घूमता encyclopaedia सा, गोया ज्ञान ही बांटता फिरता है
आकछूँ, सर्दी-खांसी-नाक भी बंद!! C’mon dude, its bronchitis of upper respiratory system,
Wow, गोलगप्पे! Stop! भारत के 89% लोग नॉन-communicable disease के शिकार हैं,
अहा बारिश की पहली
बूंदे! Season of retreating
monsoon from the West Coast of India,
तुम्हारा सर फोड़
डालूँ क्या? Dare you! IPC section 307, criminal prosecution for attempt to murder
Seriously? अपना फोड़ डालूँ क्या? Suicide क्राइम है, डिप्रेशन का साइन
है, इसलिए सोचो भी मत!
हे ईश्वर, करें
भी तो क्या,
दोस्त जो है वो मेरा!
एक और दोस्त है,
रूपचन्द
Parties
की वो जान है,
हम कुरूप दोस्तों के बीच की शान है
Stylish
कपड़ों की चमक,
और playboy
perfume
की सख्त गमक,
जूते कपड़े gadgets,
hairless chest,
सब उसकी आन और बान है
कॉलेज जाने में लेट हो रहा है तो क्या?
बस, ज़रा बाल
काढ़ लूँ
Allen
Solly,
Van
Huesan,
Tommy
Hilfiger,
अपना wardrobe
तो संवार लूँ
भाई के जैसा ‘being
human’
bracelet
है और Bieber
जैसे बाल
Bi-monthly
facial
regime,
daily
gym और
प्रोटीन शेक का है कमाल
कहीं आना हो,
जाना हो, ले दे के
वही एक सवाल?
”यार, दिख
कैसा रहा हूँ मैं?
थोड़ा silly
थोड़ा dilly
है, पर करें
भी तो क्या,
दोस्त जो है वो मेरा!
एक और मज़ेदार दोस्त है,
पाकचंद
खान पान का शौकीन है,
जो वज़न घटाने को कह दो तो पाकचंद की तौहीन है
जब हम लेते है एक pizza,
वो लेता है चार
जब हम लें एक scoop
icecream,
वो लेता बार बार
चाहे माँ के लड्डू हों या हों restaurant
में dine
Beer,
malt,
whiskey
हो, या हो chilled
wine
कुछ ऐसा नहीं जो उसे भाता न हों,
वो उपजा भी नहीं जो वो खाता ना हो
हमारे टिफ़िन बॉक्स का शिकारी है,
Food
Fest का सबसे
चुस्त खिलाड़ी है,
गोल-मटोल बेडॉल है,
पर करें भी तो क्या,
दोस्त जो है वो मेरा!
एक दोस्त है लेखचंद
हर वक़्त कुछ खोया रहता है,
ख्वाबों पे सोया करता है
हर रात एक सुरमाया चुनता है,
हर दिन एक कहानी बुनता है
कविताओ में बसती उसकी जान है,
छंदो में कैद एक टुकड़ा आसमान है
शब्दों का माया जाल है,
किताबो पर वो निहाल है
जो टूट गए वो नाज़ुक शीशे से ख्वाब,
तो रक्त पोथी लिख जाएगा
जो छूट गए कलम के स्याही के छाप,
तो अंतर्द्वंद की यलगार गाथा सुनाएगा
कुछ सनकी कुछ अड़ियल है,
पर करें भी तो क्या,
दोस्त जो है वो मेरा!
ऐसे ही कुछ सिरफिरे से चंद और है,
रामचंद,
गोपीचन्द।
सोमवार-शुक्रवार व्रत रखते हैं,
मंगल-बृहस्पति-शनि को मांस नहीं खाते,
बुध-रवी को सोमरस का अमूमन पान करते हैं,
मेरे ईश्वर-भक्त दोस्त....
फूलचंद,
गुलाबचंद।
बस नाम के ही पुष्प जैसे,
ना ही रसिक,
ना ही सुगंधित,
गालियों की दुकान है,
वो मेरे कोमल दोस्त....
रागचंद,
सुरचंद।
जो गीत सुनाये तो शीशा चटक जाए,
जो गुनगुनाए तो गागर फूट जाए,
गले में bullet
bike के इंजिन
से सुरीले है,
मेरे संगीतज्ञ दोस्त....
खैर,
राह चलते चलते इनके साथ,
जब हालत के थपेड़ों से लड़ कर ठिठक जाता हूँ
मैं,
तो इन चंदों में से कुछ चंद ना जाने कब मेरे
बगल आ खड़े हो जाते हैं,
मेरे दुखते हुए मन को अपनी यारी के पंख से
कुछ ऐसे सहलाते हैं,
खाना पीना भूलकर,
सजना संवारना छोडकर,
रंगीन रातों,
किस्से कहानियों से मुंह मोड़कर
मेरे कांधे पे हाथ रख,
चुपचाप ठहर जातें हैं,
कोई खून देता है,
कोई वक़्त,
कोई मन सौंपता है,
कोई प्रेम
ऐसे ही उनका हाथ थामे हुए,
मेरे दिन दर दिन गुजरते हैं,
मेरे पागलपन में कुछ अपना रंग घोलते,
हम संग-संग कड़ी दर कड़ी खोलते हैं
जैसे भी हैं,
मेरे अपने है,
मुझमे खुद को देखते हैं,
कोई उन्हे कैसा भी समझे,
मेरे बचपन की रूह मे वो पलते हैं
चंद सी मुलाक़ातों में,
चंद सी बातों मैं,
वो चंद से चंद,
क्या करूँ मैं उनका?
दोस्त जो हैं वो मेरे।
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