(Pic courtesy - www.newslaundry.com )
निर्भीक, नासमझ, नादान, निरंकुश, नन्ही
वो,
बैंगनी।
छल, छलावा, घात-मात, छेड़खानी,
क्या करे?
वो,
बैंगनी।
रक्त-रातें, अश्रु-मिन्नतें, छिन्न भिन्न, मनमानी,
चिथड़ों में,
वो,
बैंगनी।
माथा, मन्नत, मर्यादा, मंदिर,
मूक?
वो,
बैंगनी।
घिनौनापन, घोर, घबराहट, घृणा, घेराबन्दी,
बिलखती अकेली,
वो,
बैंगनी।
दुहाई, गुहार, मोर्चा, प्रहार, मोमबत्ती, शब्दवार,
न्याय-भीख,
किन्तु मौन,
वो,
बैंगनी।
माँ, बाबा, घर, घोड़े, तितली,
दो गज़ ज़मी,
सूखा रक्त, सपाट-सन्न, सफेद में लिपटी
सोती
वो,
बैंगनी।
मैं, तुम, क्रोध, आज, सब लाल,
मैं, तुम, याचना, ये दिन, सब स्याह,
मैं, तुम, कल, फिर से, वही घिसा पिटा सा रंग, वही सवाल,
नहीं बदेलगा तो सिर्फ़,
वो,
बैंगनी।
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