Saturday 5 May 2018

Proses and Verses



तुम धूप का वो टुकड़ा हो
जो हर रोज़ धुंध काटता हुआ मेरे आँगन को सेंका करता है,.....Read More


निर्भीक, नासमझ, नादान, निरंकुश, नन्ही
वो, बैंगनी।......Read More




जब से होश संभाला है, जानती हूँ उन्हे
मिली हूँ पर मिली नहीं, देखा हैं पर देखा भी नहीं
पड़ोस में हैं पर पड़ोसी नहीं, दोस्ती तो है पर दोस्त नहीं
फिर भी जब वो बगल से मुझे ताड़ते हुए गुजरते हैं.... ........Read More




खट्टे मीठे, गोल मटोल, चटपटे अनारदाने जैसे दोस्त
आड़े तिरछे, मुड़े तुड़े, रस्सी की मजबूत अकड़न जैसे सयाने मेरे दोस्त
कभी इधर कभी उधर, मूँगफली के छिलकों जैसे हल्के मगर सेहतमंद दोस्त

                                                             मुझे सजाओगे?
तुमने क्या सोचा था?
कि सिल्क पर जरदोज़ी का काम की हुई
साड़ी का तोहफा देकर खुश कर दोगे मुझे?
हो जाती मैं...


  मेरे बाबा       
अलसाई सी गर्मी की शाम है
घड़ी पर ठीक चार बजे हैं
एक नज़र जब चारो ओर देखती हूँ 
तो सब मीठी नींद में सो रहे है
कहीं खाली सोफा, तो कहीं सिकुड़ा सा लिहाफ
मेज़ पे रखा एक अदना सा ऐनक.............
.........Read More




She was running free.
Bare and naked,
Across boundaries, maps and fences
Butterflies followed her dances

The birds, her homelessness,..Read More






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